हाल के दिनों में, रूस ने अपनी तेल बिक्री के लिए एक नया रास्ता अपनाया है, जो पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से बचने का एक तरीका साबित हो रहा है। रूस, जो पहले से ही क्रिप्टोकरेंसी का समर्थक रहा है, अब क्रिप्टो का इस्तेमाल भारत और चीन को तेल बेचने में कर रहा है। यह कदम रूस के लिए एक महत्वपूर्ण फाइनेंशियल स्ट्रेटजी है, जिससे वह ग्लोबल ऑइल ट्रेड में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। खासतौर पर, यह क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग ट्रेडिशनल फाइनेंशियल सिस्टम से बचने के लिए किया जा रहा है, जिससे पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों को दरकिनार किया जा सके।
रूस और क्रिप्टोकरेंसी का बढ़ता हुआ उपयोग
रूस की तेल कंपनियाँ अब Bitcoin, Ethereum और Tether जैसे Stablecoins का इस्तेमाल कर रही हैं, जिससे चीन और भारत की करेंसी को Russian Ruble में बदला जा सके। इस प्रक्रिया से लेन-देन की गति तेज हो जाती है और यह प्रतिबंधों से बचने में मदद करता है। रूस का यह कदम पहले से ही देशों जैसे कि ईरान और वेनेजुएला द्वारा अपनाए गए क्रिप्टो उपयोग के समान है। यह देश भी अमेरिकी डॉलर से बचने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
रूस के एक तेल व्यापारी के अनुसार वे हर महीने कई करोड़ डॉलर के क्रिप्टो ट्रांजैक्शन करते हैं, खासतौर पर चीन को तेल बेचने के लिए। इस प्रक्रिया में, चीन के खरीदार किसी ट्रेडिंग कंपनी को Yuan में भुगतान करते हैं, जो फिर इसे क्रिप्टो में बदलकर विभिन्न अकाउंट्स के माध्यम से भेजते हैं। इसके बाद यह पैसा रूस में Ruble में बदलकर भुगतान किया जाता है।
भारत के लिए तेल का निर्यात और क्रिप्टो का भविष्य
भारत रूस का एक बड़ा ऑइल कस्टमर है और अब क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से रूस भारत को तेल बेच रहा है। हालांकि ट्रेडिशनल करेंसिज अभी भी रूस की ऑइल ट्रेडिंग में प्रमुख भूमिका निभाती हैं, क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इससे रूस को ग्लोबल इकोनॉमिक क्राइसिस से बचने और अपनी एनर्जी रिक्वायरमेंट्स को पूरा करने में मदद मिल रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही पश्चिमी प्रतिबंध हटाए जाएं, रूस भविष्य में भी क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग जारी रख सकता है। इस बीच, UAE Dirham का भी उपयोग कुछ भुगतान में हो रहा है, जो रूस के तेल व्यापार में एक नया आयाम जोड़ता है।
कन्क्लूजन
रूस का क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग ग्लोबल ट्रेड के लिए एक नया और प्रभावी तरीका साबित हो रहा है। इससे न केवल रूस को आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में मदद मिल रही है, बल्कि यह भारत और चीन जैसे देशों के साथ व्यापार को और भी मजबूत बना रहा है। क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से रूस अपनी तेल बिक्री में तेजी ला रहा है और पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार कर रहा है, जिससे भविष्य में इसका उपयोग बढ़ सकता है।
यह कदम न केवल रूस के लिए, बल्कि ग्लोबल ऑइल ट्रेड के लिए भी एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित हो सकता है, जिससे क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर नए सवाल उठ सकते हैं।